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भिन्डी की खेती

परिचय

शाकभाजी की व्यावसायिक खेती में भिन्डी का बहुत ही प्रमुख स्थान हैI इसकी खेती पूरे भारत में लगभग की जाती हैI भिन्डी में विटामिन , बी, सी बहुत ही प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैI इसमे प्रोटीन और खनिज लवणों का एक अच्छा स्रोत हैI

प्रजातियाँ

भिन्डी की उन्नतशील प्रजातियाँ कौन कौन सी है ?
भिन्डी की प्रजातियाँ है- आजाद भिन्डी 1, जिसे आजाद गंगा कहते है आजाद भिन्डी 2, आजाद भिन्डी 3, यह आजाद कृष्णा है, लाल रंग की होती है और आजाद भिन्डी 4 इसके अलावा परभनीक्रांति, वर्षा उपहार, पूसा 4, अर्का अनामिका एवम अर्का अभय यह उन्नतशील प्रजातियाँ है जिनमे बीमारी नहीं लगती है

उपयुक्त भूमि

भिन्डी की खेती के लिए किस प्रकार की भूमि और जलवायु का होना आवश्यक है ?
भिन्डी की खेती हर प्रकार की उपजाऊ भूमि में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सबसे सर्वोतम बलुई दोमट और दोमट मिट्टी होती है, इसके लिए 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान वुवाई के समय अति आवश्यक है और 42 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर इसकी फालिया गिरने लगती हैI

बीज बुवाई

भिन्डी की बीज दर कितनी होनी चाहिए?
12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर के हिसाब से इसकी बीजदर लगती है, इसकी वुवाई जुलाई का दूसरा पखवारा सर्वोतम होता है और इसकी वुवाई लाइनो में की जाती है, लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटी मीटर पौध से पौध की दूरी 30 सेंटी मीटर रखनी चाहिए, जिससे की हमारी उत्तम पैदावार मिल सकेI

जल प्रबंधन

भिन्डी की खेती में सिंचाई कब करे?
इसमें वैसे तो सिचाई की आवश्कता बहुत ही कम पड़ती लेकिन आवश्कता अनुसार सिचाई करते रहना चाहिए जिससे की हमारी पैदावार अच्छी मिल सके I

पोषण प्रबंधन

भिन्डी में खाद और उर्बरक का प्रयोग कितना और किस प्रकार किया जाना चाहिए?
जब हम खेत तैयार करते है उस समय 200-250 कुन्तल प्रति हेक्टर के हिसाब से कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद आखिरी जुताई में मिला देना चाहिए, खेत वुवाई करते समय नाइट्रोजन इससे पूरा नहीं होता है तो नाइट्रोजन तत्व के रूप में 80 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो ग्राम फास्फोरस तथा 40 किलो ग्राम पोटाश की आवश्कता पड़ती है, और आखिरी जुताई में वुवाई से पहले आधी नाइट्रोजन की मात्रा खेत में जुताई करते समय दे देना चाहिए, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई में प्रयोग करते हैI

खरपतवार प्रबंधन

भिन्डी में खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करे ?
आवश्यता अनुसार इसमें कम से कम 2 से 3 निराई गुड़ाई करना चाहिए लेकिन खरपतवार नियंत्रण हेतु वुवाई से पूर्व वासालिन 48 . सी. 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिए जिससे की खरपतवार उगे ही I

रोग प्रबंधन

भिन्डी में रोग पर नियंत्रण कैसे करे ?
इसमें सबसे अधिक येलोवेन मोजेक जिसे पीला रोग कहते है, यह रोग वाइरस के द्वारा या विषाणु के द्वारा फैलता है, जिससे की फल पत्तियां और पेड़ पीला पड़ जाता है, इसके नियंत्रण हेतु रोग रहित प्रजातियाँ का प्रयोग करना चाहिए या मेलाथियान 50 सी यह लीटर को 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर के हिसाब से हर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए, जिससे यह पीला रोग उत्पन्न ही नहीं होता हैI

कीट प्रबंधन

 भिन्डी में कीट पर नियंत्रण कैसे करे ?
भिन्डी की फसल में तना वेधक और फल वेधक दोनों तरह के कीट लगते है, इसके बचाव के लिए हम कार्बोसल्फान 25 . सी. 1.5 लीटर 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर के हिसाब हर 10 से 15 दिन के अन्तराल  छिडकाव करते रहना चाहिए, लेकिन यह ध्यान रखे जब छिडकाव इसका करे, इसके पूर्व भिन्डी की तोड़ाई कर लेना चाहिए, जिससे की इसका बुरा प्रभाव खाने वालो पर पड़ सके I

फसल कटाई

भिन्डी की फसल की तोड़ाई कब करनी चाहिए?
जब फसल में फूल आने लगते है, फूल के चौथे  पांचवे दिन तोड़ाई करना अति आवश्यक है, हर तुडाई 4 से 5 दिन अन्तराल पर करते रहना चाहिएI

पैदावार

एक हेक्टर खेत में भिन्डी की उपज कितनी हो जाती है?
स्वस्थ फसल पर आपको 125 से 150 कुन्तल खाने योग फालियाँ मिलती हैI

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