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अलसी की खेती


परिचय

अलसी की खेती उत्तर एवम मध्य भारत में अच्छी तरह से की जाती है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड भाग में अच्छी खेती की जाती है। अलसी के बीज से तेल निकालते है तेल से साबुन भी बनाया जाता है। इसके पौधे से रेशा निकला जाता है रेशे से कपडे एवम अच्छी गुणवत्ता वाले पेपर बनाये जाते है।

जलवायु और भूमि

अलसी की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
इसकी खेती के लिए सम-शीतोषण जलवायु पाई जाती है तथा इसकी बुवाई के समय 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम होना चाहिए अलसी की खेती मटियार भूमि में अच्छी तरह से की जाती है इसके साथ-साथ दोमट एवम चिकनी मिट्टी में भी की जा सकती है।

प्रजातियाँ

अलसी में कौन-कौन उन्नतशील प्रजातियाँ है इस बारे में बताइये?
दो प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है एक बीज बहु-उद्देशीय इन प्रजातियों में तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है जो की इस प्रकार है- गरिमा, श्वेता, शुभ्रा, पदमिनी, शेखर, शारदा, लक्ष्मी27 एवम मधु आजाद1 प्रजाति है। रेशे की मात्रा इन प्रजातियों में अधिक पाई जाती है जैसा की गौरव, शिखा, रश्मि और पार्वती प्रजातियाँ है।

खेत की तैयारी

अलसी की खेती के लिए खेत की तैयारी किस प्रकार करे?
अलसी की खेती खरीफ की फसल् की कटाई के बाद ही की जाती है। खरीफ की फसल के बाद पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए बाद में कल्टीवेटर या देशी हल से दो-तीन जुताइयां करके अच्छी तरह से समतल खेत को कर लेना चाहिए इसके साथ ही साथ पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेते है।

बीज बुवाई

अलसी की खेती हेतु जो बीज की दर है वो प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और उन बीजो का शोधन किस प्रकार करे?
बीज उददेशीय किस्मो में 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा लगती है। दो-उददेशीय में 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा लगती है। झुलसा तथा उकठा से संक्रमण की रोकथाम हेतु 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए इसके पश्चात ही बुवाई करे।
अलसी की खेती के लिए बुवाई हम कब करे और किस विधि का प्रयोग करे उसमे?
अलसी की बुवाई उचित समय सम्पूर्ण अक्टूबर माह है। इसकी बुवाई लाइनों में हल के पीछे कूंड में की जाती है। बीज उददेशीय हेतु लाइन से लाइन की दूरी 25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। दो-उददेशीय प्रजातियों हेतु लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

पोषण प्रबंधन

अलसी की फसल में किन-किन उर्वरको का प्रयोग हमें करना है और कब करना है कितनी मात्रा में करना है?
असिंचित क्षेत्रों हेतु नत्रजन 50 किलोग्राम, फास्फोरस 40 किलोग्राम, पोटाश 40 किलोग्राम तथा सिंचित क्षेत्रों हेतु नत्रजन 100 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम, पोटाश 40 किलोग्राम की आवश्यकता पड़ती है। असिंचित दशा में नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा तथा सिंचित दशा में नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व् पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय कूंड में 2-3 सेंटीमीटर बीज के नीचे देना चाहिए तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा सिंचित दशा में टॉप ड्रेसिंग में देते है।

जल प्रबंधन

अलसी की फसल में हमें कब सिंचाई करनी चाहिए और कितनी मात्रा में करनी चाहिए?
अलसी प्रायः असिंचित दशा में बोते है लेकिन जहाँ पर सिंचाई की सुविधा होती है वहां दो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। पहली फूल आने पर तथा दूसरी सिंचाई दाना बनाते समय करने से उपज में बढोत्तरी होती है।

खरपतवार प्रबंधन

अलसी की फसल में खरपतवारों के नियंत्रण के लिए किस तरह के उपाय करे?
इसमे रबी की फसल के सभी खरपतवार उगते है। इनका नियंत्रण पेंडीमेथालीन 30 .सी. 3.3 लीटर मात्रा 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर फ़्लैटफैन नोजिल से बुवाई के बाद एक या दो दिन के अन्दर छिडकाव करना चाहिए जिससे की खरपतवारों का जमाव हो सके।

रोग प्रबंधन

अलसी में कौन-कौन से रोग लगते हैं और इस हेतु क्या उपाय करने चाहिए?
इसमे अल्टरनेरिया झुलसा, रतुआ या गेरुई, उकठा एवम बुकनी रोग लगता है। इसकी रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम थीरम से बीज का उपचार प्रति किलोग्राम की दर से कर लेना चाहिए बुवाई नवम्बर में करे तो रोग कम लगते है, रोग रहित प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिए। खादी फसल में मैन्कोजेब 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 40-50 दिन बुवाई के बाद छिडकाव करे तथा हर 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए जिससे की रोग लग सके। रतुआ या गेरुई तथा बुकनी रोग की रोकथाम के लिए घुलनशील गंधक 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए। उकठा की रोकथाम हेतु दीर्घ कालीन फसल चक्र भी अपनाना चाहिए।

कीट प्रबंधन

कीट कौन-कौन से लगते है अलसी की फसल में और उनका नियंत्रण हमारे किसान भाई किस प्रकार से करे?
अलसी में गालमिज् कीट लगता है इसके प्रौढ़ कीट गहरे नारंगी रंग के छोटी मक्खी होती है। इसकी रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 .सी. 750 मिलीलीटर या क्युनालफास 1.5 लीटर मात्रा 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए।

फसल कटाई

अलसी की फसल की कटाई और मड़ाई का सही समय क्या है इसकी कटाई और मड़ाई हमारे किसान भाई कब करे कैसे करे?
जब फसल पूर्ण रूपेण सूखकर पाक जावे तभी कटाई करनी चाहिए। कटाई के तुरंत बाद मड़ाई कर लेनी चाहिए जिससे की बीजों का नुकसान हो।

पैदावार

अलसी की फसल में प्रति हेक्टेयर कितनी उपज प्राप्त होने की संभावना होती है?

अलग-अलग प्रजातियों की पैदावार अलग-अलग होती है प्रथम बीज उद्देशीय सिंचित दशा में 18 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथा असिंचित दशा में 12 से 15 कुंतल प्रति हेक्टेयर एवं तेल दोनों दशा में 42 से 45 प्रतिशत पाया जाता है। दो-उद्देशीय दशा में 20 से 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथा 12 से 15 प्रतिशत तेल एवम 40 से 42 प्रतिशत तक रेशा पाया जाता है।

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