तरोई की खेती पूरे भारतवर्ष में व्यावसायिक के रूप में की जाती है?
जलवायु एवं भूमि
तरोई की खेती के जलवायु एवम भूमि किस प्रकार की होनी चाहिए?
इसके लिए समशीतोषण
जलवायु होनी चाहिए
बुवाई के समय
20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम
होना अतिअवाश्यक हैI
प्रत्येक प्रकार की भूमि
में की जा
सकती है इसकी
खेती लेकिन बलुई
दोमट और दोमट
भूमि इसके लिए
उपयुक्त पाई और
जिसमे पानी का
निकास समुचित हो
सर्वोत्तम खेती की
जाती हैI
तरोई की जो उन्नतशील प्रजातियाँ हैं उनके बारे में बिस्तार से बताये?
खरीफ की फसल
में कुछ मुख्य
जातियां है जिनकी
खेती की जाती
है- कल्यानपुर हरी
चिकनी, पूसा चिकनी,
पूसा गुच्छेदार एवम
पूसा नसदारI
खेत की तैयारी
तोरई की खेती की जब हम शुरूआत करते है तो किसान को किस तरह की तैयारी पहले से कर लेनी चाहिए?
खेत की सबसे
पहले मिट्टी पलटने
वाले हल से
जुताई करते है
और इससे पूर्व
उसमे गोबर की
सड़ी खाद का
प्रयोग करना चाहिएI
तोरई की खेती के लिए बुवाई का जो उपयुक्त समय क्या है?
खरीफ़ में इसकी
बुवाई का समय
है जून से
जुलाई का समय
अति उत्तम होता
हैI
तोरई के बीज को बुवाई से पहले किस रसायन से किस तरह से शोधित किया जा सकता है?
बीज का शोधन
इसलिए करते है
क्योकि इसमे फफूदी
रोग अत्याधिक नुकसानदायक
लगता है बीज
को बुवाई से
पहले थीरम या
बाविस्टीन की 2 ग्राम
मात्रा एक किलोग्राम
बीज का उपचार
करना अति आवश्यक
हैI
तोरई के बीज की मात्रा के बारे में जानकारी दे और यह बुवाई किस प्रकार करे?
हमें बुवाई के लिए
2.5 से 3 किलोग्राम बीज प्रति
हेक्टेयर के हिसाब
से बुवाई की
जाती है लेकिन
इसकी बुवाई की
विधि अलग ही
होती हैI 2.5 से
3 मीटर की दूरी
पर नालियाँ बनाकर
इसकी बुवाई करते
है और जो
मेड़ें बनती है
उसमे 50 सेंटीमीटर की दूरी
पौधे से पौध
रखते हुए इसकी
बुवाई करते हैI
पोषण प्रबंधन
तोरई की फसल में खाद और उर्वरकों का प्रयोग कितनी मात्रा में और कब-कब करना चाहिए?
खेत की तैयारी
करते समय सड़ी
कम्पोस्ट खाद या
गोबर की खाद
को 200 से 250 कुंतल प्रति
हेक्टेयर के हिसाब
से आखरी जुताई
में मिला देनी
चाहिए लेकिन इसकी
पूर्ती के लिए
120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और
80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर
के हिसाब से
तत्व के रूप
में देते है
और आख़िरी जुताई
करते समय आधी
नाइट्रोजन की मात्रा
, फास्फोरस की पूरी
और पोटाश की
पूरी मात्रा को
हम खेत में
मिला देते हैI
अगर हमें सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है तो हमें सिंचाई कब करनी चाहिए?
वैसे खरीफ़ के
फसल में पानी
बरसता रहता है
इसलिए सिंचाई की
आवश्यकता पड़ती है
लेकिन फिर भी
कभी-कभी सूखा
पड़ जाता है
और पानी समय
से नहीं बरसता
है तो आवश्यकतानुसार
सिंचाई करते रहना
चाहिएI
खरपतवार प्रबंधन
तोरई की फसल में खरपवार का नियंत्रण किसान भाई किस प्रकार करे?
इसके लिए 15 से 20 दिन
बुवाई के बाद
सबसे पहले निराई-गुडाई करनी चाहिए
और आवश्यकता पड़ने
पर दूसरी निराई
भी करे लेकिन
खरपतवार नियंत्रण के लिए
बुवाई से पहले
खेत में बासालीन
48 ई.सी. 1.5 किलोग्राम
प्रति हेक्टेयर के
हिसाब से खेत
में मिला देना
चाहिए जिससे खरपतवार
उगे ही नI
रोग प्रबंधन
तोरई की फसल रोगों से बचाने लिए हम क्या उपाय करे?
बरसात में फफूंदी
रोग अधिक लगता
है इसके नियंत्रण
के लिए मेन्कोजेब
अथवा बाविस्टीन 2 ग्राम
प्रति लीटर पानी
में घोलकर हर
15 -20 दिन के अंतराल
पर छिडकाव करते
रहना चाहिएI बरसात
में छिडकाव करते
समय यह ध्यान
रखे की जिस
दिन पानी न
बरस रहा हो
और सुबह के
समय इसका छिडकाव
करना चाहिएI
कीट प्रबंधन
कीटों का नियंत्रण हम किस तरह से करें?
कीटों के नियंत्रण
के लिए कार्बोसल्फान
25 ई सी 1.5 लीटर
800 से 1000 लीटर पानी
में घोलकर प्रति
हेक्टेयर के हिसाब
से 10-15 दिन के
अंतराल पर छिडकाव
करते रहना चाहिएI
तोरई की फसल से प्रति हेक्टेयर कितनी उपज प्राप्त हो जाती है?
तोरई की पैदावार
होती है 150 से
200 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार
ले सकते हैI
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