गाजर की खेती
पूरे भारतवर्ष में
की जाती है
गाजर को कच्चा
एवं पकाकर दोनों
ही तरह से
लोग प्रयोग करते
है गाजर में
कैरोटीन एवं विटामिन
ए पाया जाता
है जो कि
मनुष्य के शरीर
के लिए बहुत
ही लाभदायक है
नारंगी रंग की
गाजर में कैरोटीन
की मात्रा अधिक
पाई जाती है
गाजर की हरी
पत्तियो में बहुत
ज्यादा पोषक तत्व
पाये जाते है
जैसे कि प्रोटीन,
मिनिरल्स एवं विटामिन्स
आदि जो कि
जानवरो को खिलाने
पर लाभ पहुचाते
है गाजर की
हरी पत्तियां मुर्गियों
के चारा बनाने
में काम आती
है गाजर मुख्य
रूप से उत्तर
प्रदेश, असाम, कर्नाटक, आंध्रा
प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा
में उगाई जाती
हैI
जलवायु और भूमि
गाजर की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
गाजर ज्यादातर ठन्डे मौसम
में उगाई जाती
है गाजर की
बढ़वार अधिक तापक्रम
होने पर कम
हो जाती है
तथा रंग में
परिवर्तन हो जाता
है इसके लिए
बलुई दोमट तथा
दोमट भूमि सर्वोत्तम
होती है भूमि
में पानी का
निकास होना अतिआवश्यक
हैI
गाजर की खेती के लिए कौन-कौन सी उन्नतशील प्रजातियां पाई जाती है?
गाजर की बहुत
सी प्रजातियां पाई
जाती है जैसे
की गाजर नंबर
29 , पूसा केसर, पूसा मेघाली,
सलेकशन233, जेंटनी, अर्लीमेंट्स, अम्प्रेटर,
मेन्ट्स आफ लाग,
पूसा यमदाग्नि एवं
जीनो हैI
खेत की तैयारी
गाजर की खेती हेतु खेत की तैयारी किस प्रकार करे?
खेत की तैयारी
में पहली जुताई
मिट्टी पलटने वाले हल
से करनी चाहिए
इसके बाद दो
से तीन जुताई
कल्टीवेटर या देशी
हल करके खेत
भुरभुरा बना लेना
चाहिएI 200 से 250 कुंतल सड़ी
गोबर की खाद
खेत तैयार करते
समय भूमि में
अच्छी तरह से
मिला देना चाहिएI
बीज बुवाई
गाजर की खेती हेतु बीज की दर प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और बीजो का शोधन किस प्रकार से करे?
गाजर मेंड़ो पर बुवाई
हेतु 5 से 6 किलोग्राम
प्रति हेक्टेयर लगता
है बुवाई से
पहले 2.5 ग्राम थीरम से
प्रति किलोग्राम बीज
की दर से
शोधन करनी चाहिएI
गाजर की खेती हेतु किस विधि के द्वारा गाजर की बुवाई करनी चाहिए?
गाजर की बुवाई
उत्तरी भारत में
अगस्त से अक्टूबर
तक की जाती
है यूरोपियन किस्मों
की बुवाई नवम्बर
में की जाती
हैI पहाड़ी क्षेत्रो
में मार्च से
जून तक बुवाई
की जाती हैI
इसकी बुवाई 35 से
45 सेंटीमीटर की दूरी
पर लाइनो पर
या मेंड़ो पर
करनी चाहिएI बीज
को 1.5 से 2 सेंटीमीटर
गहराई पर बोना
चाहिए मेंड़ो की
ऊंची 20 से 25 सेंटीमीटर रखनी
चाहिए तथा पौधे
से पौधे की
दूरी 4 से 5 सेंटीमीटर
रखते हैI
पोषण प्रबंधन
गाजर की खेती हेतु उर्वरको का सही इस्तेमाल कब करना चाहिए और कितनी मात्र में करना चाहिए?
200 से 250
कुंतल सड़ी गोबर
की खाद खेत
तैयारी करते समय
देना चाहिए तथा
50 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस,
45 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर
तत्व के रूप
में देना चाहिएI
नत्रजन की आधी
मात्रा तथा फास्फोरस
व् पोटाश की
पूरी मात्रा बुवाई
से पहले देना
चाहिएI शेष आधी
मात्रा नत्रजन की खड़ी
फसल में दो
बार में देते
है 1/4 नत्रजन की मात्रा
शुरू में पत्तियो
की बढ़वार के
समय तथा 1/4 मात्रा
नत्रजन की जड़ो
की बढ़वार के
समय देना चाहिएI
गाजर की फसल में सिंचाई हमें कब करनी है और कितनी मात्रा में करनी है इस सन्दर्भ में बताइये?
बुवाई के बाद
नाली में पहली
सिंचाई करनी चाहिए
जिससे मेंड़ों में
नमी बनी रहे
बाद में 8 से
10 दिन के अंतराल
पर सिंचाई करते
रहना चाहिएI गर्मियों
में 4 से 5 दिन
के अंतराल पर
सिंचाई करनी चाहिएI
खेत को कभी
सूखना नहीं चाहिए
नहीं तो पैदावार
कम हो जाती
हैI
खरपतवार प्रबंधन
निराई-गुड़ाई कब करे और खरपतवारो का नियंत्रण किस प्रकार से करे गाजर की फसल में?
पूरी फसल में
2 से 3 निराई-गुड़ाई करनी
चाहिए उसी समय
थिनिंग करके पौधों
की दूरी 4 से
5 सेंटीमीटर कर देना
चाहिए जब जड़ों
की बढ़वार शुरू
हो जावे तो
मेंड़ों पर हल्की
मिट्टी चढ़ा देनी
चाहिएI खरपतवार नियंत्रण हेतु
बुवाई के तुरंत
बाद खेत में
स्टाम्प की 3.5 लीटर मात्रा
प्रति हेक्टेयर के
हिसाब से छिड़काव
करना चाहिए उस
समय नमी खेत
में अवश्य होनी
चाहिएI
रोग प्रबंधन
गाजर की फसल में कौन-कौन से रोग लगाने की सम्भावना होती है और उनकी रोकथाम हेतु क्या करे?
गाजर में फ्यूजेरियम
आक्सीस्पोरम, पीला रोग,
विषाणु ब्लाइट, रूटनाट कृमि
रोग लगते हैI
इनकी रोकथाम के
लिए खेतो के
अवशेष एकत्र करके
नष्ट कर देना
चाहिएI पीला रोग
हेतु इंडोसेल 2 मिलीलीटर
प्रति लीटर या
इण्डोधान 2 मिलीलीटर प्रति लीटर
के हिसाब से
छिड़काव करना चाहिएI
बीजो का शोधन
करके बुवाई करनी
चाहिए तथा फफूंद
नाशक डाइथेन एम्.45
या जेड78 का
0.2 प्रतिशत घोल का
छिड़काव करना चाहिएI
कीट प्रबंधन
गाजर की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनका नियंत्रण हम किस प्रकार करे?
गाजर में अर्ध
गोलाकार सूंडी, नील की
सूंडी तथा बिहार
का बालदार कीड़ा
कीट लगते है
इनकी रोकथाम हेतु
4 प्रतिशत कार्बेराल चूर्ण का
बुरकाव करना चाहिए
या 10 प्रतिशत बी.एच.सी.
25 किलोग्राम के हिसाब
से प्रति हेक्टेयर
बुरकाव करना चाहिए
इसके साथ ही
साथ खेत को
खरपतवारों से साफ़
रखना चाहिएI
फसल कटाई
गाजर की कटाई का सही समय क्या है?
गाजर के जड़ें
ज खाने योग्य
हो जावे तभी
इसकी खुरपी द्वारा
खुदाई करनी चाहिए
जिससे जड़ें कटे
न और गुणवत्ता
अच्छी बनी रहे
जिससे कि बाजार
में अच्छा भाव
प्राप्त हो सकेI
इसकी सफाई करके
बाजार में बेंच
देना चाहिएI
गाजर की फसल से प्रति हेक्टेयर कितनी उपज प्राप्त हो जाती है?
गाजर में जड़ों
की पैदावार किस्म
के प्रकार के
अनुसार प्राप्त होती है
जैसे कि एशियाटिक
टाइप में 250 से
300 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज
प्राप्त होती है
तथा यूरोपियन टाइप
में 100 से 150 कुंतल प्रति
हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती
हैI
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