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धान की खेती

परिचय

सबसे पहले हमारे किसान भईयो को धान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते चलिए?
उत्तर प्रदेश में धान प्रदेश की प्रमुख्य फसल है प्रदेश में चावल की औसत उपज में वृद्धी हो रही है और अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत कम है इसकी उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है यह तभी संभव हो सकता है जब सधन विधियों को ठीक प्रकार से अपनाया जाय।

जलवायु और भूमि

धान की खेती के लिए प्रमुख्य जलवायु कौन सी होती है और किस प्रकार की हमारी भूमि होनी चाहिए?
धान की फसल के लिए समशीतोषण जलवायु की आवश्यकता होती है इसके पौधों को जीवनकाल में औसतन 20 डिग्री सेंटीग्रेट से 37 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। धान की खेती के लिए मटियार एवम दोमट भूमि उपयुक्त मानी जाती है।

प्रजातियाँ

धान की कौन-कौन सी उन्नतशील प्रजातियाँ पाई जाती है और उनका इस्तेमाल हम किस प्रकार से करे?
प्रदेश में धान की खेती असिंचित व् सिंचित दशाओं में सीधी बुवाई व् रोपाई द्वारा की जाती है। इसके लिए संस्तुति प्रजातियाँ इस प्रकार है असिंचित क्षेत्रो के लिए गोविन्द,नरेन्द्र118, नरेन्द्र97, नरेन्द्र80, बरानी दीप, नरेन्द्र लालमती, शुष्क सम्राट तथा सिंचित क्षेत्रों के लिए रतना, गोविन्द, अश्वनी, पन्त धान4, आई आर 50, सरजू 52, पन्त धान10, मनहर एवम साकेत 4 इत्यादि है।

खेत की तैयारी

किस प्रकार से हम अपने खेतों की तैयारी करे एस बारे में बताईये?
धान की फसल के लिए पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताइयां कल्टीवेटर से करके खेत तैयार करना चाहिए साथ ही खेत की मजबूत मेडबंदी कर देनी चाहिए जिससे की वर्षा का पानी अधिक समय तक संचित किया जा सके तथा रोपाई से पूर्व खेत को पानी भरकर जुताई कर दे और जुताई करते समय खेत को समतल कर लेना चाहिए।

बीज बुवाई

धान की फसल लेने हेतु प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा पौध डालने हेतु कितनी लगती है पौध डालने हेतु बीज शोधन किस प्रकार करे?
धान की सीधी बुवाई के लिए बीज की मात्रा 40 से 50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बोना चाहिए एवम धान की एक हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज की मात्रा 30 से 35 किलोग्राम बीज पौध तैयार करने हेतु पर्याप्त होता है नर्सरी डालने से पहले बीज का शोधन करना अति आवश्यक है 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेपटोसईक्लीन तथा 75 ग्राम थीरम के द्वारा बीज को शोधित करके बुवाई करे।

पौधशाला

धान की फसल लेने हेतु किस प्रकार से यह पौध तैयार की जाती है?
एक हेक्टेयर खेत की रोपाई हेतु 30 से 35 किलोग्राम धान का बीज पौध तैयार करने हेतु पर्याप्त होता है। ट्राईकोडरमा का एक छिडकाव 10 दिन के अंतर पर पौध पर कर देना चाहिए बुवाई के 10 - 15 दिन बाद पौध पर कीटनाशक व् फफूंदीनाशक का छिडकाव करना चाहिए जिससे कोई कीट व् रोग लग सके। पौध वाले खेत में कड़ी धूप होने पर पानी निकाल देना चाहिए जिससे की पौध गलन हो सके। सिंचाई शाम के समय 3 बजे के बाद करना चाहिए जिससे की रात भर में पानी खेत में सोख जाये 21 से 25 दिन में पौध इस तरह से रोपाई हेतु तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर पौध नर्सरी से 15 हेक्टेयर की रोपाई की जा सकती है।

पौधरोपण

धान की फसल लेने हेतु पौधों की रोपाई हम कब और कैसे करे?
धान की रोपाई का उपयुक्त समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के तीसरे सप्ताह के मध्य अवश्य करनी चाहिए इसके लिए धान की 21 से 25 दिन की तैयार पौध की रोपाई उपयुक्त होती है। धान रोपाई के लिए पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर तथा एक स्थान पर 2 से 3 पौधे लगाना चाहिए।

पोषण प्रबंधन

धान की फसल में खाद और उर्वरको का प्रयोग हमें कितनी मात्रा में करना है और कब करना है इस बारे में बताईये?
धान की अच्छी उपज के लिए खेत में आख़िरी जुताई के समय 100 से 150 कुंतल पर हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद खेत में मिलाते है तथा उर्वरक में 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवम 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करते है। नत्रजन की आधी मात्रा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय देते है तथा आधी मात्रा नत्रजन की टापड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।

जल प्रबंधन

सिंचाई प्रबंधन हम कैसे करे?
धान की फसल को फसलों में सबसे अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है फसल को कुछ विशेष अवस्थाओं में रोपाई के बाद एक सप्ताह तक कल्ले फूटने वाली, बाली निकलने, फूल निकलने तथा दाना भरते समय खेत में पानी बना रहना अति आवश्यक है।

खरपतवार प्रबंधन

खरपतवार का नियंत्रण हमारे किसान भाई कब करे और कैसे करे?
धान की फसल में खरपतवार नष्ट करने के लिए खुरपी या पैडीवीडर का प्रयोग करते है। एवम रसायन विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 3-4 दिन के अन्दर पेंडीमेथलीन 30 . सी. की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर खेत में प्रयोग करने से खरपतवार का नियंत्रण अच्छी तरह से होता है।

रोग प्रबंधन

धान की फसल में कौन-कौन से रोग लगने की सम्भावना होती है उनका उपचार या नियंत्रण हमारे किसान भाई किस तरह से करे?
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग सफ़ेद रोग, विषाणु झुलसा, शीथ झुलसा, भूरा धब्बा, जीवाणु धारी, झोका, खैरा इत्यादि है इन सभी के प्रबंधन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। गर्मी की जुताई तथा मेडों की छटाई करते हुए घास की सफाई करना अति आवश्यक है। दूसरा समय पर रोग प्रतिरोधी सहिष्णु प्रजातियों के मानक बीजों की बुवाई करनी चाहिए तीसरा बीज शोधन करके ही नर्सरी में बुवाई बीज की करनी चाहिए चौथा बीज को तीन ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए पाँचवा बीज को 1.50 ग्राम के साथ 1.50 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए। झुलसा की समस्या वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम बीज के लिए 38 ग्राम ऍम ऍम सी तथा 4 ग्राम स्ट्रेप्तोसाईक्लीन को 45 लीटर पानी में बीज को रात भर भिगो दे और छाया में सुखाकर नर्सरी में बुवाई करनी चाहिए इसके पश्चात सातवाँ 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। इसके बाद 5 किलोग्राम फेरस सल्फेट की 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। क्षेत्र के अनुसार प्रजातियों की बुवाई करके पौध रोपण करना चाहिए नवां अर्थात आख़िरी बीज शोधन 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राईकोडर्मा के साथ 60 से 80 किलोग्राम गोबर की खाद से भूमि शोधन आख़िरी जुताई में मिलाकर करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

धान की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनका नियंत्रण हम किस प्रकार करे?
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट जैसे दीमक, पत्ती लपेटक कीट, गन्धी बग, सैनिक कीट, तना बेधक आदि लगते है। इन सब के नियंत्रण के लिए पहला गर्मी की जुताई तथा मेंड़ों की छटाई एवम घास की सफाई कर देना चाहिए। दूसरा फसल को खरपतवारों से मुक्त रखें तीसरा अगेती एवम समय से पौध डालकर तैयार पौध की रोपाई करे। चौथा अवरोधी प्रजातियों की बुवाई करके फसल की उपज ले। पांचवां अधिक दूरी पर 20 सेंटीमीटर गुणे 20 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करे। छठवां प्रत्येक 20 कतार के बाद एक कतार छोड़कर रोपाई करे सातवाँ स्वच्छ उर्वरको का प्रयोग करे आठवां सिंचाई का उचित प्रबंध रखे अर्थात सिंचाई समयानुसार करे। नवां रोपाई से पहले वाली फसल के अवशेषों को भली भांती नष्ट कर देना चाहिए दशवाँ रोपाई के पहले पौध के उपरी भाग को नष्ट कर रोपाई करे। ग्यारहवां 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर नीम का आधारी कीटनाशको का प्रयोग करे अंत में क्यूनालफास 25 सी का 1.25 लीटर या क्लोरोपईरीफास 20 .सी. का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिडकाव करना चाहिए।

फसल कटाई

फसल की कटाई एवम उसकी मड़ाई का एक भी एक समय होता है वह कब करना चाहिए और किस प्रकार करना चाहिए इस बारे में भी हमें बता रहे है?
जब खेत में 50 प्रतिशत बालियाँ पकाने पर फसल से पानी निकाल देना चाहिए 80 से 85 प्रतिशत जब बालियों के दाने सुनहरे रंग के हो जायं अथवा बाली निकलने के 30 से 35 दिन बाद कटाई करना चाहिए इससे दानो को झड़ने से बचाया जा सकता है। अवांछित पौधों को कटाई के पहले ही खेत से निकाल देना चाहिए कटाई के बाद तुरंत ही मड़ाई करके दाना निकाल लेना चाहिए।

पैदावार

धान की फसल से किसानो को प्रति हेक्टेयर लगभग कितनी उपज प्राप्त हो जाती है?

दो प्रकार की प्रजातियाँ मिलती है सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार की प्रजातियों में पैदावार भी अलग-अलग पाई जाती है। सिंचित क्षेत्रों में सभी तकनीकी अपनाने पर 50 से 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है। असिंचित क्षेत्रों में सभी तकनीकी अपनाने पर 45 से 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है।

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