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अरण्डी की खेती


परिचय

अण्डी की फसल तेल वाली फसलों में आती है इसका तेल बहुत ही महत्वपूर्ण होता है लेकिन खाने के काम में नहीं आता है। अण्डी के तेल से बहुत से सामान बनाये जाते है जैसे कि इसका तेल डाई, डिटर्जेंट, दवाये, प्लास्टिक, छपाई की स्याही लिनोलियम फ्लूड, पेंटस लेदर, मरहम, पालिश, फर्श का पेंट लुब्रिकेंट आदि चीजे बनाने के काम आता है। इसकी पत्तियो को रेशम के कीड़े भोजन के रूप में बड़े चाव से खाते है। भारत दुनिया का सबसे अधिक अण्डी पैदा करने वाला देश है। भारत में 7.3 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है इसके उत्पादन 8 लाख टन किया जाता है तथा 1094 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादकता है भारत में इसके उत्पादन गुजरात, आँध्रप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में होता है पूरे भारत का 80 % उत्पादन तथा 50 % क्षेत्रफल केवल गुजरात में है उत्तर प्रदेश में अण्डी की खेती तराई क्षेत्र के पीलीभीत, खीरी, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, संतकबीरनगर, गोंडा, गोरखपुर तथा बुंदेलखंड क्षेत्र एवं कानपुर, इलाहाबाद व् आगरा जनपदो में शुद्ध तथा मिश्रित रूप से की जाती है इसकी खेती मक्का तथा ज्वार के साथ मेंड़ो पर लाइन में की जाती है यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है।

जलवायु और भूमि

अण्डी की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
अण्डी की खेती गर्म व् तर जलवायु में की जाती है इसके लिए शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है इसकी खेती 50 से 75 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है। अण्डी प्रत्येक प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है लेकिन सामान रूप से अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट तथा हल्की मटियार भूमि में की जा सकती है।

प्रजातियाँ

अण्डी की फसल की कौन-कौन सी प्रमुख उन्नतशील प्रजातियां पाई जाती है?
अण्डी की दो प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है प्रथम संकुल या देशी प्रजातियां जैसे की टाइप 3, टाइप 4, अरुण, ज्योति, क्रांति, तराई4, कालपी6, ज्वाला 48-1, सी.1 एवं किरन है। दूसरे प्रकार की संकर प्रजातियां है जैसे की जी.सी.एच.2, जी.सी.एच.4, जी.सी.एच.5, डी.सी.एच.177, डी.सी.एच.32 एवं डी.एम्.बी.5, डी.एम्.बी.6 है।

खेत की तैयारी

अण्डी की फसल के लिए खेत की तैयारी हम किस प्रकार करे?
शुद्ध खेती करने के लिए पहली जुटाई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके खेत में पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए मेड़ों के किनारे थाले बनाकर थालों को भुरभुरा करके बुवाई करते है।

बीज बुवाई

अण्डी की बुवाई का सही समय क्या है और किस विधि से करनी चाहिए?
वर्षा होने पर 15 जुलाई से 15 अगस्त तक बुवाई की जा सकती है इसकी बुवाई लाइनो में 90 सेंटीमीटर से एक मीटर की दूरी पर हल के पीछे पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखी जाती है मेंड़ों के किनारे 60 सेंटीमीटर की दूरी पर थाले बनाकर बुवाई थालों में की जाती है।
अण्डी की खेती में बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है?
अण्डी की बुवाई में संकुल या देशी प्रजातियों का बीज 15 किलोग्राम तथा संकर प्रजातियों का बीज 5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

पोषण प्रबंधन

अण्डी की फसल में किन-किन उर्वरको का प्रयोग हमें करना है और कब करना है और कितनी मात्रा में करना है?
अण्डी की अच्छी पैदावार लेने हेतु 50 किलोग्राम नत्रजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस तत्व के रूप में तथा राकर व् भूड़ भूमि में 15 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता पड़ती है नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व् पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय तथा नत्रजन की शेष आधी मात्रा खड़ी फसल में निराई-गुड़ाई की समय देना चाहिए।

जल प्रबंधन

अण्डी की फसल में सिंचाई का सही समय क्या है किस प्रकार बननी चाहिए?
वर्षा ऋतु की फसल होने के फलस्वरूप सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है पानी बरसने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।

रोग प्रबंधन

अण्डी की फसल में कौन-कौन से रोग लगते है और उनका नियंत्रण किस प्रकार करे?
इसमे पत्तियो का धब्बेदार रोग लगता है इसकी रोकथाम के लिए 2 किलोग्राम जिंक मैग्नीज कार्बोनेट अथवा 80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण को 2 किलोग्राम अथवा जीरम 27 प्रतिशत को 3 लीटर का मिश्रण बनाकर छिड़काव प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए इसमे विल्ट बीमारी भी लगती है रोकथाम हेतु पानी फसल में नहीं भरना चाहिए तथा रोगरोधी प्रजातियों का प्रयोग करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

अण्डी की फसल में किस प्रकार के कीट लगते है और उनका नियंत्रण किस प्रकार करे?
अण्डी में कैस्टर सेमीलूपर लगता है इसके साथ ही टोबैको कैटरपिलर एवं लीफ हापर भी लगता है। रोकथाम के लिए क्यूनालफास 1.5 लीटर या मिथाइलपैराथियान 2 प्रतिशत को 25 किलोग्राम या डी.डी.वी.पी. 76 प्रतिशत को 50 मिलीलीटर लेकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

फसल कटाई

फसल हमारी पूरी तरह तैयार हो जाती है तो उसकी कटाई और मड़ाई का सही समय क्या है?
अण्डी की फसल गहरो में होती है अण्डी की फसल गहरो में जब फलो का रंग पीला होकर ब्राउन हो जावे तथा गहर में 75 प्रतिशत पकाव की स्थित हो जावे तब गहरो को काटकर अलग कर लेना चाहिए इसके पश्चात धूप में अच्छी तरह से गहरो को सुखा लेना चाहिए जब फल चटककर बीज अलग निकलने लगे तब मड़ाई करनी चाहिए मड़ाई के लिए डंडे से धीरे-धीरे पिटाई करके धीरे-धीरे निकाल लेने चाहिए जयादा मात्रा में होने पर मड़ाई बैलो से दाय चलाकर या ट्रैक्टर से दाय चलाकर बीज अलग कर लेना चाहिए मड़ाई करके तेज हवा में ओसाई करके बीज अलग कर लेना चाहिए।

पैदावार

अण्डी की फसल से लगभग प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार प्राप्त हो जाती है?

सभी तकनीको को अपनाते हुए उपज प्रजातियों के आधार पर प्राप्त होती है जैसे कि संकुल या देशी प्रजातियों में 12 से 14 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है तथा संकर प्रजातियों में 25 से 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।

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