Latest News

728*90

बाजरा की खेती


परिचय

बाजरा की खेती किस प्रकार से होती है, कहाँ-कहाँ होती है?
भारत में बाजरा मुख्य रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवम तमिलनाडु में उगाया जाता है। बाजरा राजस्थान में भारत के कुल क्षेत्र का 50 प्रतिशत तथा 1/3 भाग उत्पादकता का उत्पादन किया जाता है। उत्तर प्रदेश में क्षेत्रफल की द्रष्टी से बाजार का स्थान गेहू, धान तथा मक्का के बाद आता है। कम वर्षा वाले स्थानों के लिए यह एक बहुत ही अच्छी फसल है। 40 से 50 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है बाजार की खेती मुख्यतः उत्तर प्रदेश में आगरा, बरेली एवम कानपुर मंडलों में अधिकता में की जाती है। सघन पद्धतियों को अपनाकर उत्पादकता में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

जलवायु और भूमि

बाजरा की खेती के लिए किस प्रकार की अनुकूल जलवायु होनी चाहिए और किस प्रकार की भूमि की आवश्यकता पड़ती है?
बाजरा की खेती शुष्क जलवायु अर्थात कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है इसके लिए हल्की या दोमट बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। यह बरसात की फसल है इसके भूमि का जल निकास उत्तम होना चाहिए।

प्रजातियाँ

कौन-कौन सी उन्नतशील प्रजातियाँ जिनका इस्तेमाल हमारे किसान भाई करे बताइए?
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उन्नतशील प्रजातियों का शुद्ध बीज ही बोना चाहिए जैसे संकुल प्रजातियों में आई.सी.एम्.बी 155, डब्लू.सी.सी. 75, आई.सी.टी.बी. 8203 एवम राज 171 है। तथा संकर प्रजातियों में पूसा 322, पूसा 23 एवम आई.सी ऍम एच्. 441 आदि है।

खेत की तैयारी

बाजार की फसल के लिए खेत की तैयारी किस प्रकार से करनी चाहिए?
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो-तीन जुताइयां देशी हल या कल्टीवेटर से खेत को अच्छी तरह भुरभुरा बनाकर पाटा लगाना चाहिए। आख़िरी जुताई में 100 से 125 कुंतल सड़ी गोबर की खाद खेत तैयारी के समय ही अच्छे तरह मिला देनी चाहिए।

बीज बुवाई

बाजार की खेती में बीज की मात्रा कितनी प्रति हेक्टेयर पड़ती है और बीजों का शोधन हमारे किसान भाई किस प्रकार करे?
बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज पड़ता है यदि बीज उपचारित नहीं है तो बोने से पहले एक किलोग्राम बीज को थीरम 2.5 ग्राम से शोधित कर लेना चाहिए।
बाजार की बुवाई का सही समय क्या है और कौन सी विधि हमारे किसान भाई अपनाए?
बाजार की बुवाई मध्य जुलाई से मध्य अगस्त तक कर देना चाहिए। बुवाई 50 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दूरी पर 4 सेंटीमीटर गहराई पर करना चाहिए। बुवाई हर समय हल के पीछे करनी चाहिए। इसकी बुवाई छिटकवा विधि से भी करते है।

पोषण प्रबंधन

फसल में खाद और उर्वरको का प्रयोग हमें किस प्रकार करना चाहिए?
100 से 125 कुंतल गोबर की सड़ी खाद खेत की तैयारी के समय आख़िरी जुताई में मिला देना चाहिए। उर्वरको का प्रयोग भूमि परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। यदि भूमि परीक्षण नहीं उपलब्ध है तो संकर प्रजातियों के लिए 60 से 100 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस एवम 40 किलोग्राम पोटाश तथा देशी या संकुल प्रजातियों के लिए 40 से 50 किलोग्राम नत्रजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस एवं 25 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते है। फास्फोरस एवम पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले बेसल ड्रेसिंग द्वारा तथा शेष आधी नत्रजन की मात्रा टाप ड्रेसिंग के रूप में बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए।

जल प्रबंधन

बाजरा की सिंचाई कब करनी चाहिए और किस प्रकार करनी चाहिए?
वर्षा ऋतू में बुवाई के कारण वर्षा का ही पानी पर्याप्त होता है। लेकिन वर्ष होने फसल में फूल आने पर एक या दो सिंचाइयां आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। जल निकास का प्रबंधन अति आवश्यक है।

खरपतवार प्रबंधन

बाजार में कितनी बार निराई और गुडाई करनी चाहिए साथ ही छटाई यानी थिनिंग कब करनी चाहिए और खरपतवारों का जो नियंत्रण है वो हम किस प्रकार करे?
बाजरा की खेती के लिए निराई-गुडाई का अधिक महत्व है। पहली निराई-गुडाई बुवाई के 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए दूसरी निराई-गुडाई 35 से 40 दिन बाद आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। निराई-गुडाई करते समय पौधों को छटनी या थिनिंग आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। यदि फसल में पथरचट्टा के आलावा अधिक खरपतवार जमाते है तो बुवाई के एक-दो दिनों के अन्दर लासो 50 .सी. या एलाक्लोर 5 लीटर भूमि पर छिडकाव करना चाहिए जिससे खरपतवारों का जमाव ही हो सके।

रोग प्रबंधन

बाजार की फसल में कौन-कौन से रोग लगते है और उन रोगों पर हम किस तरह से नियंत्रण रख सकते है?
बाजार की फसल में रोग लगते है जैसे की बाजार का अर्गट, बाजार का कण्डुआ अवम बाजरा की हरित बाली रोग है। इनके नियंत्रण के लिए बीज शोधन करके बुवाई करनी चाहिए एक ही खेत में लगातार बाजरा की फसल नहीं लेनी चाहिए। रोग ग्रस्त पौधों को अवम बालियों को निकाल देना चाहिए इसके साथ ही मैन्कोजेब या जिनेब 75 प्रतिशत या जीरम 80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

बाजार की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनकी रोकथाम हम किस प्रकार करे?
बाजार की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है जैसे की तन छेदक, प्ररोह मख्खी, पत्ती लपेटक, माहू आदि है। इनके नियंत्रण हेतु खेत में पुराने पड़े अवशेषों को इकट्ठा करके जला देना चाहिए बीज शोधन करके बोना चाहिए इसके साथ ही फैनीटोथ्रियान 50 .सी 1 लीटर या क्यूनालफास 25 .सी. 2 लीटर या कर्बराल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण . किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। पत्ती लपेटक हेतु डाईकलोर्वास 70 .सी. 650 मिलीलीटर या क्लोरपैरीफास 20 .सी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

फसल कटाई

कटाई और मड़ाई करने का सही समय क्या है कब करनी चाहिए किस प्रकार करनी चाहिए?
जब फसल हमारी पूर्ण रूप से बालियाँ पौधों सहित पककर तैयार हो जावे तभी कटाई करनी चाहिए। दो तरह से कटाई की जाती है एक तो नीचे से तना सहित कटाई करके बाद में बालें काटकर अलग की जाती है दूसरी केवल बालें खड़ी फसल से कटाई करके अलग कर लेते है। बालों को कटाई के बाद धूप में अच्छी तरह सुखाकर ही बालों से बीज अलग कर लिया जाता है।

पैदावार

सभी तरह की सुरक्षा एवम सावधानियां अपनाने के बाद हमें कितनी पैदावार प्राप्त हो जाती है?

दो तरह की प्रजातियाँ होती है एक तो संकुल बाजरा दूसरा संकर बाजरा संकुल बाजरा की पैदावार 18 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथा संकर बाजरा की प्रजातियों की पैदावार 20 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

1

1

Recent Post

1