शकरकंद में स्टार्च
अधिक मात्रा में
पाया जाता है
इसको शीतोष्ण तथा
समशीतोष्ण जलवायु वाले स्थानो
पर अधिक उगाया
जाता हैI यह
लगभग पूरे भारतवर्ष
में उगाई जाती
है भारत उगाने
के क्षेत्र में
6वें स्थान पर
आता है लेकिन
यहां पर इसकी
उत्पादकता कम है
इसकी खेती सबसे
अधिक ओडिशा, बिहार,
उत्तर प्रदेश, मध्य
प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं
महाराष्ट्र में क्रमशः
की जाती हैI
जलवायु और भूमि
शकरकंद की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि किस प्रकार की होनी चाहिए?
शकरकंद की खेती
के लिए 21 से
26 डिग्री तापमान उपयुक्त माना
जाता है यह
शीतोष्ण एवं समशीतोष्ण
जलवायु वाले स्थानो
पर सफलतापूर्वक उगाई
जाती है और
जहां पर 75 से
150 सेंटीमीटर प्रति वर्ष वर्षा
होती है वहां
पर इसको अच्छी
तरह उगाया जा
सकता हैI शकरकंद
को अच्छे जल
निकास वाली दोमट
या चिकनी दोमट
भूमि में अच्छी
तरह उगते हैI
इसकी खेती के
लिए भूमि का
पी.एच. 5.8 से
6.7 उचित माना जाता
हैI
प्रजातियाँ
शकरकंद की खेती के लिए उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी है?
इसकी बहुत सी
प्रजातियां पाई जाती
है जैसे की
एच.268, पूसा सफ़ेद,
पूसा रेड, पूसा
सुहावनी, नंबर 4004, एस 30, राजेंद्र
शकरकंद 51, 35, 43, वर्षा एवं कोनकन,
अशवनी आदि हैI
इसके साथ ही
भुवन शंकर, सी.ओ1, सी.ओ2, सी.ओ3, श्री
बंदनी, श्री नंदनी,
किरण आदि हैI
खेत की तैयारी
शकरकंद की खेती हेतु खेत किस तरह से तैयार करना चाहिए?
पहली जुताई मिट्टी पलटने
वाले हल से
करते है इसके
बाद में दो-तीन जुताई
देशी हल या
कल्टीवेटर से करके
खेत को समतल
करके भुरभुरा बना
लेते हैI आधिरी
जुताई में 150 से
200 कुंतल सड़ी गोबर
की खाद मिला
देना चाहिएI
बीज बुवाई
शकरकंद की खेती में कटिंग की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है तथा शोधन हमें किस प्रकार करना चाहिए?
इसकी खेती कटिंग
की रोपाई के
द्वारा की जाती
है रोपाई में
लगभग 40000 से 45000 कटिंग या
टुकड़े एक हेक्टेयर
के लिए पर्याप्त
होते हैI प्रत्येक
कटिंग में कम
से कम 3 से
4 गांठे होना आवश्यक
है तथा लम्बाई
25 से 30 सेंटीमीटर प्रत्येक कटिंग
की रखते हैI
कटिंग को 8 से
10 मिनट के लिए
बोरेक्स 2.5 प्रतिशत घोल में
डालकर निकालने के
बाद सुखाकर बुवाई
करते हैI
पौधरोपण
शकरकंद की रोपाई किस तरह से तथा किस विधि से करना चाहिए?
शकरकंद की कटिंग
की रोपाई मेंडो
पर या समतल
जगह पर की
जाती है इसकी
वाइन्स मई से
जून-जुलाई में
नर्सरी मे तैयार
करते हैतथा अगस्त
से सितम्बर में
इसकी रोपाई करते
हैI इसकी कटिंग
की रोपाई लाइन
से लाइन 60 सेंटीमीटर
तथा पौधे से
पौधे की दूरी
30 सेंटीमीटर रखते है
तथा 6 से 8 सेंटीमीटर
की गहराई पर
कटिंग की रोपाई
करते हैI
शकरकंद की फसल की सिंचाई कब कैसे करनी चाहिए?
शकरकंद की कटिंग
की रोपाई के
बाद यदि खेत
में नमी कम
है तो 4 से
5 दिन बाद पहली
सिंचाई करनी चाहिएI
यदि वर्षा कम
हो रही हो
तो आवश्यकतानुसार सिंचाई
10 से 15 दिन के
अंतराल पर करते
रहना चाहिएI
खरपतवार प्रबंधन
शकरकंद की फसलमें निराई-गुड़ाई कब करनी चाहिए तथा खरपतवार कैसे नियंत्रण करते है?
इसकी रोपाई के 20 से
25 दिन बाद पहली
निराई-गुड़ाई करनी
चाहिए साथ ही
मिट्टी भी चढ़ानी
चाहिएI यदि आवश्यकता
पड़े तो समयानुसार
निराई-गुड़ाई करके
खरपतवार निकालते रहना चाहिएI
इसकी बेल की
पलटाई दो-तीन
बार करनी चाहिएI
जिससे की शकरकंद
अच्छी तरह से
बन सकेI
शकरकंद में कौन-कौन से रोग लगते है तथा उनका नियंत्रण किस तरह कर सकते है?
शकरकंद की फसल
में लीफ स्पॉट,
ब्लैक रॉट एवं
सॉफ्ट रॉट रोग
लगते हैI लीफ
स्पॉट का नियंत्रण
डाइथेन एम 45 जिसे कि
मैन्कोजेब कहते है
या डाइथेन जेड
78 जिसको जिनेब कहते है
कि एक ग्राम
मात्रा एक लीटर
पानी में घोलकर
छिड़काव से नियंत्रण
होता हैI ब्लैक
रॉट के नियंत्रण
हेतु टीवर को
मर्क्यूरिक क्लोराइड या बोरेक्स
2.5 प्रतिशत से शोधित
करके नर्सरी तैयार
करनी चाहिएI
कीट प्रबंधन
शकरकंद में कौन-कौन से कीट लगते है तथा उनका नियंत्रण हम किस तरह कर सकते है?
शकरकंद में स्वीट
पोटैटो वीविल या सूंडी
एवं स्वीट पोटैटो
स्पैनक्स या कैटरपिलर
कीट लगते हैI
वीविल के नियंत्रण
हेतु थयोडान 35 ई.सी. को
2 मिलीलीटर को एक
लीटर पानी में
घोलकर या कार्बराइल
2 ग्राम प्रति लीटर पानी
में घोलकर छिड़काव
करना चाहिएI कैटरपिलर
के नियंत्रण हेतु
लेड आर्सिनेट का
स्प्रे 2 मिलीलीटर प्रति लीटर
पानी में घोलकर
छिड़काव करना चाहिएI
फसल कटाई
शकरकंद की खुदाई कब और कैसे करनी चाहिए?
शकरकंद में खुदाई
प्रजातियों के अनुसार
की जाती हैI
शकरकंद की पत्तियां
जब पीली पड़ने
लगे तो समझना
चाहिए कि फसल
खुदाई लायक हो
गयी हैI पहले
इसकी वाइन काटकर
अलग कर देना
चाहिए इसके बाद
ट्यूबर की खुदाई
की जाती है
वाइन की कटिंग
के पहले 4 से
6 दिन पहले पानी
लगा देना चाहिए
जिससे कि खुदाई
में आसानी रहती
हैI खुदाई करते
समय ट्यूबर को
कटाने नहीं देना
चाहिए जिससे कि
गुणवत्ता सही रहेI
शकरकंद की फसल की पैदावार या उपज प्रति हेक्टेयर कितनी प्राप्त होती है?
असिंचित दशा में
80 से 100 कुंतल प्रति हेक्टेयर
तथा सिंचित दशा
में लगभग 200 से
250 कुंतल प्रति हेक्टेयर पैदावार
प्राप्त होती हैI
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