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लोबिया की खेती

परिचय

आप लोबिया के बारे में हमारे किसान भाइयो को कुछ बताये?
लोबिया की खेती दाल एवं सब्जी दोनों के लिए की जाती है इसके साथ-साथ जानवरों के चारे में भी प्रयोग की जाती है। भूमि में हरी खाद देने के रूप में भी प्रयोग करते है। भारत में मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागो में खेती की जाती है।

जलवायु और भूमि

लोबिया के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि का इस्तेमाल हमारे किसान भाई करे एस सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बाते बताये?
लोबिया को शीतोष्ण और सम-शीतोषण जलवायु में उगाया जा सकता है। भूमि मुख्य रूप से खरीफ अर्थात वर्षा ऋतू में इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती के लिए 21 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम की आवश्यकता पड़ती है। लोबिया के लिए दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है। वर्षा ऋतू में ढालू भूमि में भी खेती की जा सकती है, बलुई दोमट में भी खेती की जाती है। वर्षा ऋतू की फसल होने के कारण खेत में जल निकास का साधन अच्छा होना चाहिए।

प्रजातियाँ

वह कौन सी उन्नतशील प्रजातियाँ है जिनका इस्तेमाल हमारे किसान भाई लोबिया की खेती करते वक्त करे?
लोबिया की बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती है कि टाईप2, टाईप5269, यू.पी.सी.4200, रसियन जाईंट, आई.जी.ऍफ़450, सी..5 एवम सी..6 तथा यू.पी.सी.5287 है।

खेत की तैयारी

हम अपने खेतों की तैयारी किस प्रकार से करे बताईये?
खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत समतल तथा उचित जल निकास वाला होना चाहिए। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके भुरभुरा बना लेना चाहिए।

बीज बुवाई

लोबिया की फसल में बीज की मात्रा का निर्धारण कैसे करना चाहिए प्रति हेक्टेयर कितनी लागत लगती है और बीजो का शोधन हमारे किसान भाई किस प्रकार करे?
लोबिया का बीज खेती के प्रकार के आधार पर अलग-अलग बीज की मात्रा बुवाई हेतु पड़ती है। फलियों के लिए 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है। दाना के लिए 30 से 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है। हरा चारे के लिए 35 से 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है। बुवाई से पहले 2.5 ग्राम थीरम से एक किलोग्राम बीज के हिसाब से इसका शोधन कर लेना चाहिए।
लोबिया की बुवाई का क्या समय है और कौन सी विधि प्रयोग करनी चाहिए?
दाना व् फलियों के लिए लाइन में तथा चारे व् हरी खाद के लिए छिड्कवा विधि द्वारा बुवाई करनी चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर तथा फलियों के लिए 50 सेंटीमीटर की दूरी पर बुवाई करनी चाहिए। लोबिया की बुवाई वर्षा होने पर जुलाई में करनी चाहिए। बीज शोधान बुवाई से पहले 2.5 ग्राम थीरम से प्रति किलोग्राम की दर से शोधन करने के बाद लोबिया को विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए।

पोषण प्रबंधन

लोबिया की फसल में खाद एवम उर्वरक का प्रयोग कितनी मात्रा में करे, कब करे और कितनी मात्र में करे?
लोबिया के लिए नत्रजन 10 से 15 किलोग्राम तथा फास्फोरस 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई से पहले देना चाहिए।

जल प्रबंधन

फसल की सिंचाई का सही समय क्या है कब करनी चाहिए और किस प्रकार करनी चाहिए?
वर्षा ऋतु की फसल होने के कारण सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि पानी बरसे तो आवश्यकतानुसार एक या दो सिंचाई करनी चाहिए।

खरपतवार प्रबंधन

निराई-गुड़ाई किस प्रकार करे कब करे?
लोबिया की निराई-गुड़ाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद आवश्यकता पड़ती है। यदि खरपतवार अधिक उगते है तो दोबारा निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है।

रोग प्रबंधन

कौन-कौन से रोग लगते है लोबिया की फसल में और किस प्रकार से इनका नियंत्रण करना चाहिए?
लोबिया में सूत्रकृमि एवं पीला रोग जिसे मोजैक कहते है इनकी रोकथाम के लिए ज्वार की मिश्रित खेती करनी चाहिए तथा 100 .सी. डायमेक्रोन 1 लीटर 3 लीटर पानी में तथा नुवान 100 .सी. 1 लीटर 3 लीटर पानी में मिलाकर दोनों के एक अनुपात एक के मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए। यह छिड़काव फल आने के पूर्व 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

इस फसल में कौन-कौन से कीट लगाने की सम्भावना होती है और उनकी रोकथाम किस प्रकार करे?
लोबिया में माहू तथा फली बेधक कीट लगते है इनकी रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 30 .सी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से माहू रोकने के लिए छिड़काव करना चाहिए तथा फली बेधक के लिए मोनोक्रोटोफास 36 .सी. 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।

फसल कटाई

लोबिया की फसल की कटाई एवं मड़ाई का सही समय क्या है कब करनी चाहिए?
लोबिया की खेती के प्रकार के अनुसार कटाई-मड़ाई की जाती है दाने के लिए पूर्ण रूप से फली एवं पेड़ सूखने पर कटाई करते है तथा बाद में मड़ाई करके दाना अलग कर लिया जाता है। फलियों के लिए जब फलियां खाने लायक हो जावे तो हर सप्ताह तुड़ाई करके बाजार में बेच देना चाहिए और हरे चारे हेतु जब फसल में अच्छी बढ़त हो जावे तभी चारे हेतु कटाई शुरू कर देनी चाहिए।

पैदावार

लोबिया की फसल से प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार प्राप्त हो जाती है?

लोबिया की खेती के प्रकार के अनुसार उपज प्राप्त होती है। फलियों की पैदावार 50 से 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। दाना की पैदावार 14 से 16 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है तथा चारा की पैदावार 300 से 350 कुंतल पैदावार प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

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