जई की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि होनी चाहिए?
जई शरद ऋतू
में उगाई जाती
है जई की
खेती के लिए
दोमट या भारी
दोमट भूमि उपयुक्त
होती है भूमि
में पानी का
निकास होना चाहिए।
प्रजातियाँ
जई की उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी है?
जई की एकल
कटाई वाली प्रजातियां
कैंट, ओ एस6,
नरेंद्र जई 1, बुंदेल जई
99-2 ऐसी को जे.एच ओ
99-2 भी कहते है।
बहु-कटाई वाली
प्रजातिया जैसे यू.पी.ओ.212,
बुंदेल जई 822, बुंदेल जई851
इसे जे.एच
ओ 851 भी कहते
है।
जई की खेती के लिए खेतो की तैयारी किस प्रकार से करे?
खरीफ की फसल
के बाद जई
की बुवाई की
जाती है पहली
जुटाई मिट्टी पलटने
वाले हल से
करने के बाद
2 से 3 जुताइयां देशी हल
या कल्टीवेटर से
करके खेत को
भुरभुरा बना लेना
चाहिए। इसके बाद
ही बुवाई करनी
चाहिए।
जई की बुवाई हेतु बीज की मात्रा कितनी लगती है बीज का शोधन किस प्रकार से करे?
जई की बुवाई
दो प्रकार से
की जाती है
कूंडो में बुवाई
कूड़ो में बुवाई
जब समय से
बुवाई करते है
तो 75 से 80 किलोग्राम
प्रति हेक्टेयर बीज
लगता है और
पिछती बुवाई करते
है तो 100 से
110 किलोग्राम बीज प्रति
हेक्टेयर लगता है
दूसरा छिटकवा बुवाई
हेतु इसमे भी
समय से बुवाई
करने पर 110 से
115 किलोग्राम बीज लगता
है और पिछेती
बुवाई करने पर
120 से 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
बीज लगता है।
बीज शोधन के
लिए थीरम या
कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत 2 से 2.5 ग्राम
से प्रति किलोग्राम
बीज उपचारित करते
है। बीज उपचारित
करके ही बुवाई
करनी चाहिए।
जई की बुवाई का सही समय क्या है और इसकी बुवाई की विधि हमारे किसान भाइयो को बताइये?
जई की बुवाई
दो समय में
की जाती है
समय पर बुवाई
अक्टूबर के प्रथम
पखवारा से नवम्बर
के प्रथम पखवारा
तक होता है
तथा देर से
बुवाई करने पर
नवम्बर का अंतिम
सप्ताह माना जाता
है। जई की
बुवाई कूड़ो में
20 सेंटीमीटर की दूरी
पर लाइनो में
की जाती है
बुवाई के बाद
खेत में लम्बी-लम्बी क्यारिया बना
लेना चाहिए जिससे
पानी लगाने में
सुविधा रहे और
साथ ही साथ
बैलो द्वारा चालित
मशीनो तथा ट्रेक्टर
द्वारा चालित मशीनो द्वारा
कटाई की जा
सके।
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